एक कवि की शादी हुई …
पहली मुलाकात में दूल्हे ने अपनी साहित्यक भाषा में अपनी दुल्हन से बातचीत की शुरुआत कुछ इस तरह से की -
“प्रिय, आज से तुम ही मेरी कविता हो , अभिलाषा हो , भावना हो, कामना हो..”
दुल्हन ने यह सुनकर दूल्हे से कहा-
दुल्हन ने यह सुनकर दूल्हे से कहा-
“मेरे लिए भी आज से तुम ही मेरे मुकेश हो, मितेश हो ,सुरेश हो, रमेश हो..”
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