ट्रेन को पुलिस ने चारों तरफ से घेर रखा था क्योंकि बिना टिकट वालों की चेकिंग हो रही थी। इतने में मेवालाल जी ट्रेन से कूदे और लगे भागने। उनको भागता देख सभी पुलिस वाले और अधिकारी उनको पकड़ने दौड़े। देखते ही देखते मेवालाल जी के साथ कई लोग भागने लगे। चूंकि सभी पुलिस वालों और अधिकारियों का ध्यान मेवालाल जी की तरफ था, इसलिए दूसरों के ऊपर किसी का ध्यान नहीं गया। अंत में मेवालाल जी को पकड़ लिया गया लेकिन साथ दौड़ने वाले भाग निकले। फिर पुलिस वालों ने मेवालाल जी से टिकट दिखाने को कहा तो उन्होंने जेब से तुरंत टिकट निकाला और अधिकारी के हाथों में रख दिया। सभी हक्के-बक्के। अधिकारी ने चिल्लाकर पूछा, 'जब तेरे पास टिकट था तो भागा क्यों?' बड़ी मुश्किल से मेवालाल जी ने मुंह खोला और कहा, "हजारों सवालों से अच्छी है मेरी दौड़, ना जाने कितने बेटिकटों की आबरू बच गई!'
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