मन मैला, तन ऊजरा, भाषण लच्छेदार,
ऊपर सत्याचार है, भीतर भ्रष्टाचार।
झूठों के घर पंडित बांचें, कथा सत्य भगवान की,
जय बोलो बेईमान की!
प्रजातंत्र के पेड़ पर, कौआ करें किलोल,
टेप-रिकॉर्डर में भरे, चमगादड़ के बोल।
नित्य नई योजना बन रहीं, जन-जन के कल्याण की,
जय बोलो बेईमान की!
महंगाई ने कर दिए, राशन-कारड फेल
पंख लगाकर उड़ गए, चीनी-मिट्टी-तेल।
‘क्यू’ में धक्का मार, किवाड़ें बंद हुई दुकान की,
जय बोलो बेईमान की!
चैक कैश कर बैंक से, लाया ठेकेदार,
आज बनाया पुल नया, कल पड़ गई दरार।
बाकी झांकी कर लो काकी, फाइव ईयर प्लान की,
जय बोलो बेईमान की!
बेकारी औ’ भुखमरी, महंगाई घनघोर,
घिसे-पिटे ये शब्द हैं, बंद कीजिए शोर।
अभी जरूरत है जनता के त्याग और बलिदान की,
जय बोलो बेईमान की!
पर-उपकारी भावना, पेशकार से सीख,
दस रुपए के नोट में बदल गई तारीख।
खाल खिंच रही न्यायालय में, सत्य-धर्म-ईमान की,
जय बोलो बेईमान की!
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