Sunday, 1 March 2015

शायरी – ये हुस्न देखकर ही तो वो चाँद परेशान है

गम की नजर से देखिए, दिल के असर से देखिए
है अश्क भी एक लाल रंग, खूने-जिगर से देखिए

तैराक भी कितने यहाँ प्यासे ही मर गए
संसार की नदी में भी जरा निकल के देखिए

खुशबू से भींग जाएगी, नाज़ुक सी उंगलियाँ
मेरे दिए गुलाब को आप मसल के देखिए

ये हुस्न देखकर ही तो वो चाँद परेशान है


वो जल रहा है आपसे, अपने ही छत से देखिए

No comments: