Wednesday, 16 March 2016

बनती हुई तस्वीर तेरी चांद बन गई

शीशे के खिलौनों से खेला नहीं जाता
रेतों के घरौंदों को तोड़ा नहीं जाता
जलते हुए दिलों की निशानी जो दे गया
कुछ ऐसे चिरागों को बुझाया नहीं जाता
बनती हुई तस्वीर तेरी चांद बन गई
अब मेरे तसव्वुर का उजाला नहीं जाता
अपनों ने उसे इतना मजबूर कर दिया
कि घर में सुकून से अब जिया नहीं जाता

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