दिल का चिराग टूट गया, धुआं बिखर गया
वो धुआं खामोश जुबां पे आके ठहर गया
बादल सा ही सफेद था मेरा पुराना नाम
इश्क के सावन में वो कालिख से घिर गया
न दिखी थी धूप में दिल में रोशनी कोई
भीड़ में जीकर रूह का भी नूर देखो मर गया
सोचता हूं आंखों से कोई बूंद तो छलके
कतरा-कतरा आंसू से मेरा सीना भर गया
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